बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक यमन से आए मुस्लिम शरणार्थी हसन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वह भारत की उदारता का फायदा न उठाएं और चुपचाप पाकिस्तान या किसी खाड़ी देश में चले जाएं। हसन पिछले दस वर्षों से भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं।
हसन मार्च 2014 में स्टूडेंट वीजा पर भारत आया था और 2015 में उसने अपनी पत्नी को मेडिकल वीजा पर भारत बुला लिया। दोनों का वीजा क्रमशः फरवरी 2017 और सितंबर 2015 में समाप्त हो गया, लेकिन उन्होंने भारत नहीं छोड़ा। इस दौरान दंपति को एक बेटी भी हुई।
हाल ही में पुणे पुलिस ने उन्हें भारत छोड़ने का नोटिस दिया। इसके बाद हसन ने कोर्ट से अपील की कि उन्हें तब तक देश से निष्कासित न किया जाए जब तक कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया का वीजा नहीं मिल जाता। हसन ने तर्क दिया कि यमन लौटना उनके लिए अमानवीय होगा क्योंकि वहां गंभीर मानवीय संकट चल रहा है।
पुणे पुलिस ने कोर्ट को सुझाव दिया कि हसन शरणार्थी कार्डधारकों को स्वीकार करने वाले अन्य 129 देशों में से किसी एक में जा सकते हैं।
गौरतलब है कि यमन में चल रहे गृहयुद्ध के कारण 45 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में हसन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वह भारत के उदार रवैये का दुरुपयोग न करें और शीघ्र ही किसी अन्य देश में जाने की व्यवस्था करें।
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