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हैदर कैनाल की बस्तियों को बेदखली का लोकतांत्रिक प्रतिवाद

हैदर कैनाल की बस्तियों को बेदखली का लोकतांत्रिक प्रतिवाद

ब्रेकिंग न्यूज

  •  11 Sep 2024
  •  शिवंलेख
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लखनऊ। योगी सरकार द्वारा जारी बुलडोजर कार्रवाइयों के खिलाफ जनता के सम्मानजनक जीवन के लिए चौतरफा पहल की जाएगी। हाल ही में जिला प्रशासन ने हैदर कैनाल के किनारे बसे लोगों की बेदखली की कार्रवाई की योजना बनाई है। इस पर शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रतिवाद किया जाएगा और प्रदेश के सभी विपक्षी राजनीतिक दलों और नागरिक समाज से समर्थन मांगा जाएगा।

लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। बैठक की अध्यक्षता सपा की पूर्व मेयर प्रत्याशी और वरिष्ठ पत्रकार वंदना मिश्रा ने की, जबकि संचालन आईपीएफके के दिनकर कपूर ने किया। सीपीएम राज्य सचिव मंडल सदस्य मधु गर्ग ने बैठक के एजेंडे को प्रस्तुत करते हुए कहा कि आंदोलन संविधान में दिए गए अधिकारों की रक्षा के लिए है। उन्होंने सरकार पर संवैधानिक नीतियों और परंपराओं को खत्म करने का आरोप लगाया और कहा कि आम आदमी के जीवन को लगातार कष्टदायक बनाया जा रहा है।

हैदर कैनाल कल्याण समिति के अध्यक्ष और पूर्व सभासद अमित सोनकर ने बताया कि डीएम ने हाल ही में कैनाल के किनारे बसे लाखों लोगों को एक हफ्ते में बेदखल करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बावजूद लोगों को कोई नोटिस नहीं मिली है। प्रशासन ने ड्रोन से सर्वे भी किया है। बस्तियों में बड़ी संख्या में दलित जाति के लोग रहते हैं और आरोप है कि सरकार इनको बेदखल कर रियल स्टेट कारोबारियों को जमीन देने की योजना बना रही है। यदि प्रशासन की कोई नोटिस मिलती है, तो सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया जाएगा और सभी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेतृत्व को आमंत्रित किया जाएगा।

अकबरनगर के नेता इमरान राजा ने बताया कि अकबरनगर से विस्थापित बसंत कुंज के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया है। हालांकि आंदोलन के बाद कुछ सुविधाएं प्रशासन ने उपलब्ध कराई हैं, लेकिन रोजगार का इंतजाम नहीं किया गया और मकानों पर लगाए गए चार लाख 80 हजार रुपए की वसूली की कार्यवाही भी वापस नहीं ली गई है। उन्होंने कहा कि अकबरनगर में पुनर्स्थापन की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी जाएगी।

सामाजिक कार्यकर्ता नाईस हसन ने सुझाव दिया कि अकबरनगर के लोगों की आजीविका, आवास और बच्चों की शिक्षा के संबंध में सर्वे किया जाए और रिपोर्ट प्रशासनिक अधिकारियों को दी जाए। वरिष्ठ समाजसेवी प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र का हनन हो रहा है और न्यायिक प्रक्रिया को खत्म कर बुलडोजर राज कायम किया जा रहा है। उन्होंने साझा लड़ाई को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

ट्रांस गोमती निवासी संघर्ष समिति के संयोजक राकेश मणि पांडे ने कहा कि आंदोलन के दबाव में सरकार ने पंतनगर, खुर्रम नगर, रहीम नगर, इंद्रप्रस्थ कॉलोनी आदि इलाकों में बेदखली की कार्रवाई को वापस लिया है। भाकपा माले के जिला प्रभारी रमेश सिंह सेंगर ने अभियान को लखनऊ के आम आदमी तक पहुंचाने की बात की। सीपीएम जिला कमेटी सदस्य प्रवीन सिंह ने आंदोलन को तोड़ने की कोशिशों से बचने की बात की। आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन और आवास के अधिकार की गारंटी की बात की।

वंदना मिश्रा ने कहा कि संघर्ष समिति लखनऊ के हर उत्पीड़ित व्यक्ति की आवाज बनी है और तानाशाह सरकार के दमनात्मक कदमों को पीछे करने के लिए मजबूर किया है। बैठक में सीपीआई राज्य सचिव मंडल सदस्य कांति मिश्रा, एडवा की नेता वंदना राय, एसएफआई के अब्दुल वहाब, आइसा के शानतम निधि, एक्टू के विजय विद्रोही, हैदर कैनाल कल्याण समिति के संरक्षक गौतम गोविंद, संजय विश्वकर्मा, भगत सिंह स्टूडेंट मोर्चा की आकांक्षा आजाद, जागरूक नागरिक मंच के लालचंद, किसान सभा के जे बी यादव, और आरवाईए के राजीव समेत कई लोगों ने अपनी बातचीत साझा की।

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