अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2019 में दिए गए 5 एकड़ जमीन पर अब एक नई विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दिल्ली की एक हिन्दू महिला, रानी पंजाबी, ने इस जमीन पर अपना दावा ठोक दिया है। रानी पंजाबी का कहना है कि यह जमीन उनके परिवार की है और उनके पास इसके सारे कानूनी कागजात मौजूद हैं।
रानी पंजाबी के अनुसार, उनके परिवार को विभाजन के बाद पाकिस्तान से फैजाबाद (अब अयोध्या जिला) आने पर 28.35 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। इस जमीन का उनके परिवार ने 1983 तक खेती के लिए उपयोग किया था। बाद में उनके पिता की तबीयत खराब हो जाने पर परिवार दिल्ली चला गया और उसी समय से जमीन पर अतिक्रमण होता गया। रानी का कहना है कि उन्हें मस्जिद के निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वह चाहती हैं कि प्रशासन उनके साथ न्याय करे क्योंकि इस्लाम में किसी भी विवादित भूमि पर मस्जिद बनाना जायज नहीं है।
दूसरी ओर, मस्जिद के निर्माण के लिए गठित इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रमुख जुफर फारूकी ने रानी पंजाबी के दावों का खंडन किया है। जुफर फारूकी का कहना है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2021 में ही रानी पंजाबी के दावे को खारिज कर दिया था। उन्होंने यह भी बताया कि मस्जिद के निर्माण सहित पूरी परियोजना पर काम इस साल अक्टूबर से शुरू होगा और इसमें कोई बाधा नहीं है।
जुफर फारूकी ने यह भी कहा कि कुछ छोटे-मोटे मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझाया जा रहा है और उम्मीद है कि अक्टूबर तक मस्जिद बनाने की परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा।
इस प्रकार, रानी पंजाबी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच जमीन को लेकर विवाद अभी भी जारी है। हालांकि, कोर्ट का निर्णय और प्रशासनिक कार्रवाई इस मामले का अंतिम समाधान करेगी।
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