नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो भारतीय लोकतंत्र के चुनावी ढांचे में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत देता है। यह प्रस्ताव भारतीय चुनावी प्रणाली में एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराने की दिशा में कदम बढ़ाता है।
इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट को केंद्र सरकार को सौंपा था, जिसमें वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए विभिन्न सिफारिशें की गई थीं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार इस प्रस्ताव को अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान लागू करने की योजना बना रही है। इसके लिए केंद्र सरकार जल्द ही एक बिल ला सकती है।
वन नेशन-वन इलेक्शन के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की योजना है। इसके अतिरिक्त, समिति ने यह भी सिफारिश की है कि स्थानीय निकाय चुनाव भी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के तुरंत बाद कराए जाएं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से देशवासियों को संबोधित करते हुए इस प्रस्ताव का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव होने के कारण देश की प्रगति में रुकावट आती है। मोदी ने तर्क किया कि चुनावों की बार-बारता योजनाओं की दिशा में बाधा डालती है और देश की विकास की गति को प्रभावित करती है।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी थी। यह रिपोर्ट वन नेशन-वन इलेक्शन को लागू करने के लिए विस्तृत सुझाव प्रदान करती है।
समिति ने 191 दिनों की चर्चा के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें 47 राजनीतिक दलों के सुझाव शामिल थे, जिनमें से 32 ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। इसके अलावा, समिति ने आम लोगों से भी सुझाव आमंत्रित किए थे, जिनमें 21,558 सुझाव प्राप्त हुए थे। कुल मिलाकर, 80 प्रतिशत सुझाव इस प्रस्ताव के पक्ष में थे।
समिति की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव एक साथ कराने की योजना है, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव है। समिति ने एक ही मतदाता सूची के उपयोग की सिफारिश की है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और आसानी सुनिश्चित हो सके।
समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए एक क्रियान्वयन समूह का गठन किया जाएगा। यह समूह मंत्रिमंडल द्वारा पारित सिफारिशों पर राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से रायशुमारी करेगा। इसके बाद आवश्यक संविधन संशोधन विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा।
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार विधेयक लाने से पहले राजनीतिक दलों के साथ विस्तार से चर्चा करेगी ताकि सभी दलों के बीच सहमति बनी रहे। यह भी स्पष्ट नहीं है कि वन नेशन-वन इलेक्शन को 2029 के लोकसभा चुनाव के साथ लागू किया जाएगा या नहीं।
वन नेशन-वन इलेक्शन पर चर्चा पहली बार 1999 में शुरू हुई थी, जब विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनावों को हर पांच साल में एक साथ कराने का सुझाव दिया था। इसके बाद, 2015 में कार्मिक लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने दो चरणों में चुनाव कराने की सिफारिश की थी।
कोविंद समिति ने भी दो चरणों में चुनाव कराने का सुझाव दिया है, जिसमें पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव होंगे और दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे।
वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने की योजना है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में समन्वय और पारदर्शिता को बढ़ावा मिल सके। इस प्रस्ताव के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक संविधन संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा। सरकार ने राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से रायशुमारी के बाद इस प्रस्ताव को लागू करने की योजना बनाई है। यह प्रस्ताव भारतीय लोकतंत्र के चुनावी ढांचे में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत देता है और देश की प्रगति को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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