मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत ने मामले की पोषणीयता पर सुनवाई करते हुए कहा कि हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल सिविल वाद पोषणीय है। अदालत का यह निर्णय मुस्लिम पक्षकारों के लिए एक बड़ा झटका है, जो अब इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
यह विवाद भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच की भूमि को लेकर है। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के समय भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था। इसलिए, हिंदू पक्ष को वहां पूजा का अधिकार मिलना चाहिए और मंदिर का पुनर्निर्माण होना चाहिए।
वहीं, मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि यह मस्जिद वक्फ की संपत्ति है और 15 अगस्त 1947 से पहले यह मस्जिद वहां मौजूद थी। मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि 1968 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और शाही ईदगाह कमेटी के बीच समझौता हुआ था, जिसे अब 60 साल बाद गलत बताना ठीक नहीं है।
न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत ने हिंदू पक्ष के दावों को मान्यता देते हुए कहा कि उनके द्वारा दाखिल सिविल वाद पोषणीय है। अदालत ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से पेश किए गए सभी दावे और तर्क सुनने योग्य हैं। इस फैसले के बाद अब ईदगाह कमेटी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है।
अदालत का फैसला 12 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई में प्रभावी होगा, जहां सिविल वादों की सुनवाई शुरू होगी।
यह फैसला मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां दोनों पक्षों के बीच की कानूनी लड़ाई और गहरी हो सकती है।
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