प्रतापगढ़। जिले के एक निजी अस्पताल में कार्यरत युवती की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद शहर में तनाव व्याप्त हो गया। इस घटना को लेकर परिजनों और स्थानीय लोगों ने अस्पताल के सामने जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके दौरान पुलिस से झड़पें हुईं, पथराव हुआ और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की और जांच शुरू की। विस्तृत जांच और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस पूरे प्रकरण में पुलिस अधीक्षक डॉ. लील कुमार ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में युवती का कथित प्रेमी शाहबाज, डॉक्टर अमित कुमार और एक अन्य शामिल हैं।
यह घटना 27 तारीख की है जब प्रतापगढ़ जिले के दुर्गागंज कस्बे में स्थित एक निजी अस्पताल में काम करने वाली एक युवती की संदिग्ध परिस्थिति में मृत्यु हो गई। जब यह खबर युवती के परिजनों तक पहुंची तो उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए।
परिजनों का दावा था कि युवती के साथ दुष्कर्म किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस आरोप के बाद इलाके में आक्रोश फैल गया और बड़ी संख्या में लोग अस्पताल के बाहर जुट गए। प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल के बाहर जमकर हंगामा किया, जिससे हालात बिगड़ गए।
पुलिस जब प्रदर्शनकारियों को समझाने के लिए पहुंची तो मामला और ज्यादा गरमा गया। स्थिति इस कदर बिगड़ी कि पथराव शुरू हो गया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। रानीगंज के सीओ विनय प्रभाकर साहनी को गंभीर चोटें आईं, जबकि अन्य पुलिसकर्मियों को भी हल्की चोटें लगीं। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
पुलिस अधीक्षक डॉ. लील कुमार के मुताबिक, जांच के दौरान मोबाइल रिकॉर्ड, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, परिस्थिति जन्य साक्ष्य और गवाहों के बयानों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि युवती का शाहबाज नामक युवक से प्रेम संबंध था। आरोप है कि शाहबाज ने युवती को शादी का झांसा देकर उसके साथ संबंध बनाए। लेकिन जब युवती ने शादी के लिए दबाव डाला तो शाहबाज ने उसे ठुकरा दिया।
इस मानसिक प्रताड़ना और सामाजिक दबाव के कारण युवती गहरे अवसाद में चली गई। इसी तनाव के चलते उसने आत्महत्या कर ली।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि अस्पताल प्रबंधन ने साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया था। परिजनों को गुमराह करने और सच को छिपाने की कोशिश की गई। यही कारण था कि जब परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगा, तो तनाव बढ़ गया और हंगामा हुआ।
घटना के मुख्य आरोपियों में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है:
घटना के बाद पुलिस ने तेजी से मामले की जांच शुरू की। वैज्ञानिक जांच, मोबाइल रिकॉर्ड और अन्य डिजिटल साक्ष्यों का विश्लेषण किया गया। पुलिस की फील्ड यूनिट ने मौके पर जाकर जरूरी सबूत इकट्ठा किए। सर्विलांस टीम ने भी इस केस में अहम भूमिका निभाई।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी दोषी को बख्शा न जाए।
युवती के परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि शाहबाज ने उनकी बेटी को भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया, जिससे वह आत्महत्या के लिए मजबूर हुई। वे चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले और इस मामले की निष्पक्ष जांच हो।
परिजनों ने यह भी मांग की है कि अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, क्योंकि उन्होंने न सिर्फ साक्ष्य मिटाने की कोशिश की बल्कि मामले को दबाने की कोशिश भी की।
पुलिस का कहना है कि यह मामला बेहद संवेदनशील है और किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी। पुलिस अधीक्षक डॉ. लील कुमार ने बताया कि वैज्ञानिक और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर पूरी जांच की जा रही है और दोषियों को कानून के दायरे में लाकर सजा दिलाई जाएगी।
पुलिस के मुताबिक, इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं और हालात अब पूरी तरह नियंत्रण में हैं।
प्रतापगढ़ में हुई इस घटना ने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना प्रेम संबंधों में धोखे और मानसिक प्रताड़ना के गंभीर परिणामों को उजागर करती है।
साथ ही, अस्पताल प्रशासन द्वारा साक्ष्य मिटाने की कोशिशों ने चिकित्सा संस्थानों की नैतिकता पर भी सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, पुलिस की त्वरित कार्रवाई से मामले का खुलासा हुआ और तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे और कौन-कौन से तथ्य सामने आते हैं और न्याय प्रक्रिया कितनी तेज़ी से आगे बढ़ती है।
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