This website uses cookies to ensure you get the best experience.

मुंबई-पुणे के बेरोजगार युवाओं को बना रहा है गैंगस्टर! लॉरेंस बिश्नोई का खतरनाक प्लान सोशल मीडिया के जरिए बेनकाब

लॉरेंस बिश्नोई का खतरनाक प्लान

क्राइम

  •  17 Apr 2025
  •  शिवंलेख
  •  10 Min Read
  •  71
  •  5

मुंबई-पुणे : मुंबई—वह शहर जो कभी बॉलीवुड और कारोबार का केंद्र रहा, आज एक और बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। एक खतरनाक गैंगस्टर—लॉरेंस बिश्नोई—अपने आपराधिक साम्राज्य को महाराष्ट्र के दो प्रमुख शहरों, मुंबई और पुणे, में फैलाने की तैयारी में है। और इसका सबसे बड़ा हथियार है बेरोजगार, भटके हुए युवा—जिन्हें सोशल मीडिया के जरिए बरगलाया जा रहा है।

NDTV को मिली खुफिया जानकारी के अनुसार, बिश्नोई गैंग अब पारंपरिक अपराधों से आगे बढ़ते हुए डिजिटल रिक्रूटमेंट की तरफ रुख कर चुका है। महाराष्ट्र पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसियां इस बढ़ते खतरे को लेकर सतर्क हो चुकी हैं।

लॉरेंस बिश्नोई का नाम पहली बार राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आया जब मशहूर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में उसका नाम सामने आया। इसके बाद, सलमान खान के घर के बाहर हुई फायरिंग और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या ने उसकी पहचान को और मजबूत किया।

अब जब वह अहमदाबाद की जेल में बंद है, तब भी उसके गिरोह की गतिविधियां रुकने का नाम नहीं ले रहीं। जांच एजेंसियों का कहना है कि बिश्नोई जेल से ही अपने गैंग को ऑनलाइन निर्देश दे रहा है और रिक्रूटमेंट का पूरा तंत्र संचालित कर रहा है।

जांच एजेंसियों के मुताबिक, बिश्नोई गैंग ने एक नई रणनीति अपनाई है—युवाओं को सोशल मीडिया पर जोड़ना। खासकर वे युवा जो बेरोजगार हैं, फ्रस्ट्रेशन में हैं, और ऑनलाइन अधिक सक्रिय रहते हैं, उनके लिए यह गिरोह एक विकल्प की तरह सामने आ रहा है।

गैंग के सदस्य इन युवाओं को दिखाते हैं कि गैंग से जुड़कर उन्हें “पावर”, “शोहरत” और “इलाके में रुतबा” मिलेगा। यह एक मनोवैज्ञानिक जाल है, जहां युवा खुद को ‘हीरो’ समझने लगते हैं, जबकि हकीकत में वे एक आपराधिक नेटवर्क का हिस्सा बन जाते हैं।

मुंबई, जो 90 के दशक में अंडरवर्ल्ड का गढ़ हुआ करता था, आज फिर उसी राह पर लौटने के खतरे की ओर बढ़ रहा है। लेकिन इस बार तरीका बदला है, चेहरे बदले हैं। गैंगस्टर अब सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का सहारा ले रहे हैं।

पुणे, जो कभी एक शांतिपूर्ण शिक्षण नगरी मानी जाती थी, वहां भी अब छोटे-छोटे गैंग्स उभरने लगे हैं। ये गैंग जमीन कब्जा, वसूली और माफिया गतिविधियों में लिप्त हैं। बिश्नोई गिरोह अब ऐसे छोटे गैंग्स से संपर्क कर रहा है, ताकि उन्हें अपने नेटवर्क में शामिल कर सके और पूरे महाराष्ट्र में अपना प्रभाव बढ़ा सके।

एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह एक सुनियोजित डिजिटल रिक्रूटमेंट प्रक्रिया अपना रहा है। इसमें युवाओं को पहले सोशल मीडिया के जरिए टारगेट किया जाता है। फिर उन्हें गैंग के ‘ग्लोरिफिकेशन’ वाले वीडियो, स्टोरीज और फेक प्रोफाइल्स के जरिए प्रभावित किया जाता है।

बाद में, इन युवाओं को ‘छोटे मोटे’ कामों के जरिए परीक्षण में डाला जाता है—जैसे किसी को डराना, हथियार पहुंचाना या फिर उगाही करना। अगर वे सफल रहते हैं, तो उन्हें आगे खतरनाक कामों में शामिल किया जाता है।

यह सब कुछ बेहद पेशेवर तरीके से हो रहा है। कई मामलों में गैंग के लोग फर्जी कंपनियों के नाम पर ‘जॉब ऑफर्स’ देकर युवाओं को फंसाते हैं।

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार—इन राज्यों में पहले ही बिश्नोई गैंग की गहरी जड़ें हैं। अब यही मॉडल महाराष्ट्र में दोहराया जा रहा है। NDTV की रिपोर्ट बताती है कि इन राज्यों के कई युवाओं को पहले से ही गिरोह में शामिल किया जा चुका है, और अब बारी मुंबई-पुणे की है।

क्या महाराष्ट्र ने उत्तर भारत के अनुभवों से कोई सबक नहीं लिया? जब सोशल मीडिया पर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ जैसे गैंगस्टर्स को हीरो बना दिया जाता है, तो यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है।

जांच एजेंसियों ने अब सोशल मीडिया मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। जिन अकाउंट्स पर लॉरेंस बिश्नोई को ‘ग्लोरिफाई’ किया जा रहा है, उन पर नजर रखी जा रही है। साथ ही, जिन युवाओं की ऑनलाइन गतिविधियां संदिग्ध पाई जा रही हैं, उनके डिजिटल फुटप्रिंट को ट्रैक किया जा रहा है।

महाराष्ट्र पुलिस ने भी कुछ ऐसे केस पकड़े हैं, जिनमें युवक सोशल मीडिया के जरिए गैंग से जुड़े पाए गए। हालांकि, अभी तक कोई बड़ा खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन खुफिया रिपोर्टें संकेत दे रही हैं कि खतरा लगातार बढ़ रहा है।

यह सिर्फ एक लॉ एंड ऑर्डर का मसला नहीं है। यह एक सामाजिक विफलता भी है। जब बेरोजगारी और भटकाव युवाओं को लॉरेंस बिश्नोई जैसे अपराधियों की तरफ खींचता है, तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं हमारी व्यवस्था में बहुत बड़ी कमी है।

शिक्षा, रोजगार, मानसिक स्वास्थ्य—इन सभी पहलुओं पर सरकार और समाज को गंभीरता से काम करना होगा। अगर सोशल मीडिया पर किसी गैंगस्टर को ‘आइकन’ बनाकर पेश किया जा रहा है, तो यह केवल पुलिस की नहीं, बल्कि समाज की भी हार है।

लॉरेंस बिश्नोई गैंग की यह नई रणनीति—डिजिटल रिक्रूटमेंट और महाराष्ट्र में विस्तार—देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है। खासकर जब यह युवा पीढ़ी को निशाना बना रही है, जो देश का भविष्य है।

मुंबई और पुणे जैसे शहरों को अगर इस खतरे से बचाना है, तो पुलिस और एजेंसियों के साथ-साथ समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। सोशल मीडिया पर अपराधियों की ‘हीरो वर्शिप’ को रोकना होगा। युवाओं को सही दिशा देनी होगी, ताकि वे अपराध की अंधी गलियों में न भटकें।

वरना, कहीं ऐसा न हो कि 90 के दशक की अंडरवर्ल्ड छाया एक बार फिर लौट आए—लेकिन इस बार वह डिजिटल रूप में, और कहीं अधिक खतरनाक तरीके से।

  Lawrence-Bishnoi   Lawrence-Bishnoi-Gang   Mumbai-gang-recruitment   Pune-gang-war   unemployed-youth-crime-India   gangster-recruitment-social-media   organized-crime-Maharashtra   Salman-Khan-firing-case   Baba-Siddiqui-murder   Sidhu-Moosewala-killing   Indian-underworld   gang-influence-on-youth   social-media-radicalization   India-crime-network   Maharashtra-law-and-order   Lawrence-Bishnoi-network   online-gangster-recruitment   Indian-gang-culture   criminal-syndicates-India   gangster-news-2025   लॉरेंस-बिश्नोई   लॉरेंस-बिश्नोई-गैंग   मुंबई-गैंग-भर्ती   पुणे-अपराध-गिरोह   बेरोजगार-युवाओं-को-गुमराह-करना   सोशल-मीडिया-से-गैंग-भर्ती   संगठित-अपराध-महाराष्ट्र   सलमान-खान-फायरिंग-केस   बाबा-सिद्दीकी-हत्या   सिद्धू-मूसेवाला-मर्डर   भारतीय-अंडरवर्ल्ड   गैंगस्टर-का-युवा-पर-प्रभाव   सोशल-मीडिया-पर-कट्टरता   भारत-में-अपराध-नेटवर्क   महाराष्ट्र-अपराध-समाचार   लॉरेंस-बिश्नोई-नेटवर्क   ऑनलाइन-गैंग-भर्ती   गैंग-कल्चर-इंडिया   अपराध-जगत-2025

कृपया अपने विचार साझा करें :

समाचार खोजें