इंग्लैंड में राजनीतिक क्रांति हो गई है। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी ने चुनाव में करारी हार का सामना किया, और लेबर पार्टी ने एकतरफा जीत हासिल की। 14 सालों के बाद, लेबर पार्टी सत्ता में लौटी है।
सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी की हार के पीछे कई कारण हैं। जब पूरा इंग्लैंड लॉकडाउन में बेहाल था, तब उनकी पार्टी के नेता और मंत्री मौजमस्ती और पार्टियां कर रहे थे। इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है। नौकरी नहीं हैं, धंधा बहुत मंदा है, और लोग परेशान हैं।
सत्तारूढ़ दल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और रवांडा इमिग्रेशन पॉलिसी की सर्वाधिक आलोचना भी सुनक सरकार को झेलनी पड़ी। उनकी पार्टी से इस विषय पर आ रहे मूर्खतापूर्ण विचार ब्रिटिशर्स को और गुस्सा दिला रहे थे। ऐसा प्रतीत होता है कि सुनक की पार्टी में इस बात की होड़ मची थी कि चुनाव कैसे हारा जाए।
ऋषि सुनक खुद अपना चुनाव तो किसी तरह जीत गए, लेकिन उनके नेतृत्व वाली पार्टी कुशासन और मजाक का प्रतीक बनकर उभरी।
ब्रिटेन के संसदीय चुनावों में लेबर पार्टी को भारी जीत मिली है। सर कीर स्टार्मर ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इसके साथ ही देश में 14 सालों से चल रहे कंजर्वेटिव पार्टी के शासन का अंत हो गया है। कीर स्टार्मर के नेतृत्व में लेबर पार्टी ने 400 से ज्यादा सीटें जीती हैं, जबकि मौजूदा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी 120 सीटों पर ही सिमट गई है। निवर्तमान प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने शुक्रवार की सुबह हार स्वीकार करते हुए कीर स्टार्मर को जीत के लिए बधाई दी। उन्होंने हार की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि वह आने वाले महीनों में पार्टी नेता के पद से इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं।
निवर्तमान प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव नेता ऋषि सुनक ने उत्तरी इंग्लैंड की अपनी सीट जीत ली है। अपनी सीट जीतने के बाद उन्होंने कहा, "मैंने कीर स्टार्मर को जीत की बधाई दी है।" उन्होंने यह भी कहा कि आज शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण होगा। 44 साल के ऋषि सुनक साल 2022 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे। वे ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री हैं। इसके साथ ही वे पहले भारतीय और अश्वेत हैं, जो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। उनके माता-पिता भारतीय मूल के हैं।
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