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अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा: आबकारी घोटाले के आरोपों के बीच दिल्ली की राजनीति में भूचाल

अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा: आबकारी घोटाले के आरोपों के बीच दिल्ली की राजनीति में भूचाल

राजनीति

  •  15 Sep 2024
  •  शिवंलेख
  •  9 Min Read
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नई दिल्ली: साढ़े पांच महीने से अधिक समय तिहाड़ जेल में बिताने के बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब जेल से बाहर आए, तो उन्होंने दो दिन बाद अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। यह कदम क्यों उठाया गया, इसके पीछे के कारणों की बात करें, तो आबकारी घोटाला प्रमुख वजह है, जिसने आम आदमी पार्टी की छवि को गहरा धक्का पहुँचाया है। मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल, दोनों ही इस घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पांच महीने से अधिक समय तक जेल में रहे और बड़ी मुश्किलों के बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल सकी है। जमानत के साथ ही कोर्ट ने कुछ प्रतिबंध भी लगाए हैं।

क्या है आबकारी घोटाला ?

इसकी शुरुआत 2021 में हुई जब दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की। सरकार ने दावा किया था कि इस नीति से राज्य का राजस्व बढ़ेगा। नीति के लागू होने के बाद, दिल्ली में शराब की कीमतें कम हो गईं और जनता को इसका लाभ मिलने लगा। 2021 के मार्च महीने तक तो शराब आधे दामों में बिकने लगी थी। इस नीति में एक अहम बदलाव यह था कि शराब की बिक्री का काम निजी कंपनियों को सौंप दिया गया था।

यह वही कदम था जो बाद में केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए मुसीबत बन गया। एलजी को शिकायतें मिलने के बाद, उस समय के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इस मामले की जांच की। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने इसमें बड़े घोटाले की बात कही और यहीं से यह मामला सार्वजनिक हुआ। 22 जुलाई 2022 को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की।

सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की और केजरीवाल के करीबी मीडिया प्रभारी विजय नायर को 27 सितंबर 2022 को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद कई शराब व्यापारियों को भी गिरफ्तार किया गया। 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को नौ घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया।

ईडी और सीबीआई की कार्रवाई

ईडी ने 4 अक्टूबर 2023 को संजय सिंह को लंबी पूछताछ के बाद उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। फिर 21 मार्च को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया। केजरीवाल 13 सितंबर 2024 को जेल से बाहर आए।

हालांकि आम आदमी पार्टी इस पूरे मामले को फर्जी घोटाला बताती रही है। पार्टी का दावा है कि अब तक जांच एजेंसियों को एक भी पुख्ता सबूत नहीं मिला है।

केजरीवाल की गिरफ्तारी और जमानत

अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को गिरफ्तार किया था, उस समय वे मनी लॉन्ड्रिंग केस में पहले से तिहाड़ जेल में बंद थे। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें 21 मार्च को उनके सरकारी आवास से गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी थी। शुक्रवार को उन्हें सीबीआई के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में जमानत मिली।

आबकारी नीति घोटाले के मामले में अरविंद केजरीवाल 1 अप्रैल से जेल में बंद थे। लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए उन्हें शीर्ष अदालत से जमानत मिली थी और 10 मई को वह जेल से बाहर आए थे। जमानत की अवधि समाप्त होने पर वे दो जून को फिर से जेल लौट गए थे और तब से लगातार जेल में थे।

इस्तीफे की घोषणा और राजनीतिक भूचाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को अचानक इस्तीफे की घोषणा करके दिल्ली की राजनीति में तहलका मचा दिया। उन्होंने कहा कि वह दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। जब उनसे यह पूछा गया कि इस्तीफा देने के लिए दो दिन क्यों चुने गए, तो दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने इसका जवाब दिया।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनसे सवाल किया गया कि केजरीवाल दो दिन बाद ही क्यों इस्तीफा देंगे? इस पर आतिशी ने कहा, "आज यानी रविवार है। सोमवार को ईद की छुट्टी है। मंगलवार को काम का दिन है। इसलिए उन्होंने दो दिन बाद इस्तीफा देने का फैसला किया है।"

आतिशी ने आगे कहा, "मुख्यमंत्री केजरीवाल की ईमानदारी पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मोहर लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और उनकी जांच एजेंसियों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सीबीआई को केंद्र सरकार का 'पिंजरे में बंद तोता' कहकर उसकी कार्यवाही पर सवाल उठाए हैं।"

जनता की अदालत में अग्निपरीक्षा

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह फैसला किया है कि जब तक दिल्ली की जनता उनकी ईमानदारी पर अपने वोटों से मुहर नहीं लगाती, तब तक वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। आम आदमी पार्टी की मांग है कि चुनाव आयोग नवंबर में महाराष्ट्र के साथ दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव कराए, ताकि जनता केजरीवाल की ईमानदारी पर अपना समर्थन दिखा सके।

प्रेस वार्ता में सौरभ भारद्वाज ने कहा, "अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देकर राहत दी है, लेकिन वे जनता की अदालत में जाकर अग्निपरीक्षा देंगे। जब वे इस अग्निपरीक्षा को पास करेंगे, तभी वे फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।"

उन्होंने आगे कहा, "केजरीवाल देश के अकेले मुख्यमंत्री हैं, जो खुद जनता से कह रहे हैं कि उन्हें वोट तभी दें जब वे उन्हें ईमानदार समझें। यह भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ घटना है और इस तरह की नैतिकता कम ही देखने को मिलती है।"

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