लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद उत्तर प्रदेश से एक चौंकाने वाला परिणाम सामने आया। भारतीय राजनीति में यह कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। इस बार, मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल के लिए दो क्षेत्रीय पार्टियों पर निर्भर हो गई है। उत्तर प्रदेश की जनता ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ऐसा चुनाव परिणाम दिया जिसकी भाजपा ने कल्पना भी नहीं की थी। राम नाम का अस्त्र चलाकर लोकसभा में भाजपा दो से 303 तक पहुंची थी, लेकिन राम जी की अयोध्या भाजपा को सदैव गच्चा देती रही।
1985 में पालमपुर बैठक में भाजपा ने राम जन्मभूमि को मुक्त कराने का संकल्प लिया था। उस समय फैजाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के निर्मल खत्री सांसद थे। 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पूरी हिंदी पट्टी पर छा गई, लेकिन उस समय भी फैजाबाद सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मित्रसेन यादव सांसद चुने गए और अयोध्या विधानसभा सीट से जनता दल के जय शंकर पांडेय जीते थे।
1991 में भाजपा के विनय कटियार ने फैजाबाद का लोकसभा चुनाव जीता और उसी वर्ष फैजाबाद की पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक माहौल गर्म था, लेकिन अयोध्या पूरी तरह से शांत रही। बाबरी मस्जिद ढहने के चार वर्ष बाद हुए लोकसभा चुनाव में विनय कटियार 1996 में फिर से चुनाव जीत गए। मगर 1998 में जब फिर से राम मंदिर के नाम पर भाजपा लोकसभा चुनाव में उतरी, तब वही विनय कटियार हैट्रिक लगाने से चूक गए। सपा के मित्रसेन यादव से वे लोकसभा सीट हार गए। 1994 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा अयोध्या को छोड़कर शेष चारों विधानसभा सीटें हार गई।
1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के विनय कटियार फिर चुने गए, किंतु अटल बिहारी वाजपेयी के शाइनिंग इंडिया मुद्दे को लेकर 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या से बसपा के मित्रसेन यादव ने जीत दर्ज की और भाजपा के विनय कटियार चुनाव हार गए। ये वही मित्रसेन यादव थे जो कभी सीपीआई, सपा से सांसद चुने गए थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या वासियों ने फिर से भाजपा को इस सीट का प्रतिनिधि नहीं करने दिया और यहां से कांग्रेस के निर्मल खत्री चुनाव जीतकर सांसद बने।
2014 और 2019 में भाजपा के लल्लू सिंह ने अयोध्या से जीत दर्ज की। लेकिन 2024 में भाजपा के लल्लू सिंह सपा के अवधेश प्रसाद से हार गए। 2024 में भाजपा न सिर्फ फैजाबाद हारी बल्कि फैजाबाद (अब अयोध्या) मंडल के सभी जिलों में उसके प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा। फैजाबाद, अंबेडकर नगर, बाराबंकी, सुल्तानपुर और अमेठी लोकसभा सीटें भाजपा के हाथ से फिसल गईं। यह स्थिति तब रही जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम लला के भव्य मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी।
अयोध्या के लोगों का कहना है कि जब-जब राम नाम को इनकैश करने की कोशिश की जाती है, अयोध्या की जनता बिफर जाती है। राम जी के प्रति अयोध्या में आत्मीयता है, पर जब भी उनका राजनीतिक इस्तेमाल हुआ, मतदाता नाराज हो जाता है। सिर्फ राम के नाम पर कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता। सच यह है कि राम नाम का सहारा लेकर चुनाव लड़ने वाले विनय कटियार और लल्लू सिंह हैट्रिक नहीं लगा पाए। जनता के अपने दुःख-दर्द होते हैं, जिन्हें समझने की कोशिश नहीं की जाती, तो जनता यूं ही भाजपा से छिटकती रहेगी। लल्लू सिंह दो बार लगातार जीते किंतु वे निराकार चेहरे वाले जन प्रतिनिधि थे, इसीलिए हारे।
भाजपा के लिए 2024 में फैजाबाद से हारना एक बड़ा झटका है। लल्लू सिंह को हराने वाले अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर से सपा के विधायक हैं। 9 बार विधायक रहने के कारण क्षेत्र में वे विधायक जी के नाम से जाने जाते हैं, पर अब वो सांसद जी बन गए हैं।
2023 में नगर निगम का चुनाव भी भाजपा हारी थी। मजे की बात यह है कि जिस वार्ड में राम जन्मभूमि परिसर पड़ता है, वहां से एक निर्दलीय मुस्लिम प्रत्याशी सुल्तान अंसारी को जीत मिली थी। जबकि इसके तीन साल पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या ज़िले की पांचों विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती थीं। 2020 में अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण हेतु आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी, किंतु 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जिले की पांच विधानसभा सीटों में से मिल्कीपुर और गुसाईं गंज हार गई। इससे साफ जाहिर है कि भाजपा भले राम मंदिर को लेकर पूरे देश में वोट मांगे, अयोध्या में उसे वोट नहीं मिलता। अयोध्या एक पूर्णतया धार्मिक नगरी है। हिंदू धर्म की सप्त पुरियों में इसका उल्लेख है, परंतु राम के राजनीतिकरण को इसने सदैव नकारा।
पिछले दस वर्षों में अयोध्या का अभूतपूर्व विकास हुआ है। देश के सभी हिस्सों से जोड़ने वाली ट्रेनें, भव्य रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा पर अयोध्या के स्थानीय निवासियों को उनकी जमीनों का मुआवजा देने में भी राज्य सरकार ने भेदभाव किया। सरकार ने विकास कार्यों के लिए जमीन अधिगृहीत की, किंतु बदले में किसी को अधिक पैसे मिले, किसी को कम। फैजाबाद के भाजपा सांसद लल्लू सिंह और भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने जनता की गुहार नहीं सुनी। नतीजा यह हुआ कि लोगों को सपा के विधायक अवधेश प्रसाद पसंद आए, जो लोकसभा जीतने से पहले मिल्कीपुर (सुरक्षित) से विधायक थे।
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