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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिकी दौरा: क्वाड शिखर सम्मेलन, प्रवासी संबोधन और UNGA में भागीदारी से भारत-अमेरिका संबंधों को मिलेगी नई दिशा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिकी दौरा

राजनीति

  •  18 Sep 2024
  •  शिवंलेख
  •  11 Min Read
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हाइलाइट्स

  • 21 सितंबर: क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन
  • 22 सितंबर: 'मोदी और यूएस प्रोग्रेस टुगेदर' इवेंट
  • 23 सितंबर: 'समिट ऑफ द फ्यूचर' - संयुक्त राष्ट्र महासभा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 23 सितंबर 2024 तक संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा करने वाले हैं, जैसा कि भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर घोषणा की। यह यात्रा भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिहाज से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। मोदी की इस यात्रा का फोकस क्वाड (Quadrilateral Security Dialogue) शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी, भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित करना और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के "समिट ऑफ द फ्यूचर" में शामिल होना है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री कई द्विपक्षीय बैठकें करेंगे और निवेश आकर्षित करने के लिए अमेरिकी व्यापारिक नेताओं से मुलाकात भी करेंगे।

इस यात्रा का हर दिन बेहद अहम है, क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को और सशक्त बनाने की दिशा में यह यात्रा मील का पत्थर साबित हो सकती है।

21 सितंबर: क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन

प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत 21 सितंबर को डेलावेयर के विलमिंगटन में होने वाले क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी से होगी। क्वाड शिखर सम्मेलन, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेता शामिल होते हैं, क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। यह शिखर सम्मेलन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा उनके गृह नगर विलमिंगटन में आयोजित किया जाएगा, जो इस आयोजन की भव्यता और महत्व को बढ़ाता है। यह पहली बार है जब बाइडेन अपने गृह शहर में विदेशी नेताओं की मेजबानी करेंगे।

क्वाड का यह शिखर सम्मेलन वैश्विक कूटनीति के दृष्टिकोण से इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बाइडेन के कार्यकाल के अंतिम चरणों में हो रहा है। 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले यह बाइडेन की एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में से एक होगी। इसके साथ ही, भारत अगले क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी 2025 में करेगा, जो क्वाड में भारत की नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।

इस शिखर सम्मेलन के दौरान, चारों देशों के नेता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और आपसी सहयोग के अन्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए क्वाड देशों के बीच सहयोग को और सशक्त बनाना बेहद जरूरी है, और इस शिखर सम्मेलन में इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की उम्मीद है।

22 सितंबर: 'मोदी और यूएस प्रोग्रेस टुगेदर' इवेंट

22 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क में नासाउ वेटरन्स मेमोरियल कॉलिसियम में भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित करेंगे। "मोदी और यूएस प्रोग्रेस टुगेदर" नामक इस कार्यक्रम में भारतीय समुदाय के 24,000 से अधिक सदस्यों के भाग लेने की संभावना है। इस आयोजन का उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करना है।

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे और भारत की विकास यात्रा तथा भारत-अमेरिका संबंधों में प्रवासी भारतीयों की भूमिका पर प्रकाश डालेंगे। भारतीय समुदाय लंबे समय से अमेरिका-भारत संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, और इस कार्यक्रम के जरिए इस योगदान को और मान्यता मिलेगी।

इस आयोजन से भारत-अमेरिका संबंधों में हो रहे सकारात्मक बदलावों और प्रगति को रेखांकित किया जाएगा। दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों, जैसे कि प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और ऊर्जा में बढ़ते सहयोग पर चर्चा की जाएगी। मोदी के नेतृत्व में, भारत-अमेरिका संबंधों में विशेष प्रगति देखी गई है, और यह कार्यक्रम इस दिशा में एक और कदम है।

इस कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क में अपने होटल में अमेरिकी व्यापारिक नेताओं के साथ एक बैठक करेंगे। इस बैठक में प्रमुख रूप से प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े निवेश आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भारत में व्यापार और निवेश के लिए नए अवसरों को सामने लाने के लिए यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण होगी। प्रधानमंत्री मोदी की यह बैठक देर रात तक चलेगी, जिसके बाद वे कई वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे।

23 सितंबर: 'समिट ऑफ द फ्यूचर' - संयुक्त राष्ट्र महासभा

23 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के "समिट ऑफ द फ्यूचर" में भाग लेंगे और संबोधन देंगे। इस वर्ष के शिखर सम्मेलन का विषय "एक बेहतर कल के लिए बहुपक्षीय समाधान" है, जो वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए सहयोग और समन्वय की आवश्यकता पर जोर देता है।

प्रधानमंत्री मोदी का इस शिखर सम्मेलन में भाग लेना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका और भी मजबूत हो सकती है। जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसे मुद्दों पर भारत की राय को प्रमुखता से रखा जाएगा। मोदी के नेतृत्व में, भारत ने इन क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, और इस मंच पर उनकी उपस्थिति भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता को और सशक्त करेगी।

प्रधानमंत्री मोदी इस शिखर सम्मेलन के दौरान कई वैश्विक नेताओं से द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे, जिनमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इस तरह की द्विपक्षीय बैठकें आपसी संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण होती हैं, और मोदी की यह यात्रा भारत के लिए नए कूटनीतिक अवसर खोल सकती है।

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र महासभा की हाई लेवल मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी के भाग लेने को लेकर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जुलाई में जारी एक प्रारंभिक सूची के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी 26 सितंबर को यूएनजीए के 79वें सत्र की आम बहस में हिस्सा लेने वाले थे। लेकिन, हाल ही में जारी नई सूची के अनुसार, अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर 28 सितंबर को इस बहस में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

इस बदलाव के बावजूद, प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से भारत को वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान मिलने की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और वैश्विक चुनौतियों पर भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह अमेरिका यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। क्वाड शिखर सम्मेलन, भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित करना और संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेना, तीनों ही अवसर भारत के लिए कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।

मोदी की यह यात्रा न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को और सशक्त करेगी, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की नेतृत्व क्षमता को भी बढ़ाएगी। अमेरिका में भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ मजबूत संबंध बनाने और वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा करने के बाद, यह यात्रा निश्चित रूप से भारत के वैश्विक प्रभाव को और बढ़ाएगी।

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